पिथौरागढ़। पहाड़ में पलायन का असर अब लोक परंपराओं पर भी दिखने लगा है। अस्कोट क्षेत्र के हेल्पिया गांव में जिस मकान में गौरा-महेश्वर की पूजा होती थी, उस परिवार के पलायन के बाद मकान पिछले पाँच वर्षों से खाली पड़ा है। परंपरा को जीवित रखने के लिए गांव की महिलाएं हर वर्ष इस घर की साफ-सफाई कर यहां गौरा-महेश्वर की स्थापना कर पूजन करती हैं। इस वर्ष भी शांति ओझा, कमला ओझा, गीता ओझा, निर्मला ओझा, रेखा ओझा और सोनी ओझा ने पूजा-अर्चना की। इधर सोर घाटी के विभिन्न गांवों में आठू पर्व की धूम रही। देवलटाल तहसील के बिसुन गांव में भी सातू-आठू पर्व मनाया गया, जहां महिलाओं ने गौरा प्रतिमा की स्थापना कर देर रात तक खेल लगाए।
नगर के पांडेगांव में महिलाओं ने माँ गौरा और शिव शंकर की पूजा अर्चना कर सातू आठु पर्व धूमधाम से मनाया, इस दौरान महिलाओं ने भजन और नृत्य भी किये। पिथौरागढ़ स्थित अंबा भवन में भी महिलाओं के द्वारा धूमधाम से मनाया गया सातु आठू का पर्व यहाँ नीमा जोशी, हेमा जोशी, रमा पांडे सहित अन्य महिलाएँ मौजूद रही। इसी क्रम में नया पंचायत गुरना, ग्राम सभा कांटे में गौरी-महेश्वर पूजन बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ, जिसका विसर्जन कल किया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती मायके गई थीं और भगवान शिव उन्हें लेने पहुंचे थे। इस आयोजन में पूर्व सैनिक राजेश भट्ट, हरीश पांडे, प्रियंका पांडे, लोक निर्माण विभाग के प्रशासन अधिकारी संजय पांडे सहित कई लोग उपस्थित रहे।