एन आई एन पिथौरागढ़। मुख्य विकास अधिकारी डॉ. दीपक सैनी ने प्रोजेक्ट–21 के दूसरे चरण के तहत अब तक सीमांत जनपद पिथौरागढ़ और तिब्बत (चीन) की सीमा से जुड़े छह अंतरराष्ट्रीय दर्रों की साहसिक यात्रा सफलतापूर्वक पूरी कर एक नया कीर्तिमान रच दिया है। अब तक दो चरणों में वे कुल 16 अंतरराष्ट्रीय दर्रों एवं पाँच आंतरिक दर्रों की चढ़ाई कर चुके हैं । डॉ. सैनी ने बताया कि उत्तराखंड सरकार एवं पर्यटन विभाग के सहयोग से चल रहा प्रोजेक्ट–21 सीमांत क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य उत्तराखंड के वाइब्रेंट ग्रामों में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना, सीमावर्ती क्षेत्रों में नए पर्यटन स्थलों की पहचान करना ,स्थानीय ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था व आजीविका को सशक्त करना , सीमांत गांवों की समस्याओं को करीब से समझना तथा सेना एवं अर्धसैनिक बलों और प्रशासन के मध्य समन्वय को मजबूत करना है । डॉ सैनी ने कहा प्रथम चरण (2023) के तहत उन्होंने गढ़वाल क्षेत्र के 10 अंतरराष्ट्रीय दर्रे और 3 अंतरिक दर्रो की चढ़ाई की थी और द्वितीय चरण के तहत जौहार घाटी (24 अगस्त–1 सितम्बर) में उंटा धूरा, जयंती धुरा, किं
डॉ. सैनी ने बताया कि इस साहसिक यात्रा में उन्हें –3 से –6 डिग्री सेल्सियस तापमान, बर्फीले तूफानो, अत्यंत संकरे रास्ते एवं चढ़ाई करते समय पत्थर गिरने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन भारतीय सेना और आईटीबीपी के सहयोग से यह यात्रा सफल रही ।उन्होंने कहा कि भविष्य की योजनाएँ हेतु परी ताल (ऊंटा धुरा, 5200 मी.) को नया पर्यटन स्थल बनाने की योजना है, जिसे छोटे–छोटे बैचों में पर्यटकों के लिए खोला जाए और स्थानीय लोगों की आर्थिकी मजबूत हो और पर्यावरण संरक्षण हेतु भी प्रशासन की जिम्मेदारी तय रहे। उन्होंने बताया लपथल से टोपीढूंगा सड़क का काम काफी तेजी से चल रहा है और खिगरूधुरा तक सड़क पहुँच गई है। मिलन से टोपी ढूंगा सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर है तथा सड़क का सर्वे पूरा कर लिया गया है। इसके पूरा होने पर पिथौरागढ़ सीधे गढ़वाल से जुड़ जाएगा और श्रद्धालुओं के लिए बद्रीनाथ धाम व चारधाम यात्रा सुगम होगी। वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत सीमांत गांवों में अजीविका के नए साधन विकसित किए जाएंगे। डॉ. सैनी ने कहा कि 1905 में लांग स्टाफ द्वारा बनाए गए 11 दर्रों के रिकॉर्ड को उनके द्वारा तोड़ा जा चुका है