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पिथौरागढ़। भारत चीन सीमा पर धारचूला के व्यास घाटी में ज्योलिंगकांग स्थित आदि कैलाश में शिव-पार्वती मंदिर के कपाट रं विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद आज खोल दिए गए हैं। धारचूला के व्यास घाटी में ज्योलिंगकांग स्थित आदि कैलाश (14,500 फुट) में शिव-पार्वती मंदिर के कपाट रं विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद खोल दिए गए हैं। इस मौके पर 200 से अधिक यात्रियों ने आदि कैलाश के दर्शन किए।रं समाज के पुजारी गोपाल सिंह और वीरेंद्र सिंह ने भोले बाबा की पूजा-अर्चना की। उन्होंने देश और क्षेत्र की खुशहाली के प्रार्थना के साथ शिव भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोले। कुटी के ग्रामीणों ने मंदिर और परिसर को फूलमालाओं से सजाया है। ग्रामीण और यात्रियों ने शिव भजनों पर जमकर नृत्य किया जिससे पूरा वातावरण शिवमय हो गया। पूजा-अर्चना के बाद शिव भक्तों ने मंदिर, आदि कैलाश और पार्वती कुंड समेत अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन किए। इस दौरान जीवन सिंह, पदम सिंह, सुरेंद्र सिंह, वासुदेव सिंह, सुनील सिंह, दीवान सिंह, सुभाष सिंह, नवीन सिंह समेत शिव भक्त मौजूद रहे।इस मौके पर ग्रामीणों ने धार्मिक स्थल पर स्वच्छता की अपील की, आदि कैलाश विकास समिति के अध्यक्ष पुनीत कुटियाल ने सभी यात्रियों से धार्मिक स्थल और आसपास स्वच्छता रखने एवं कूड़ेदान का प्रयोग करने की अपील की है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि ज्योलिंगकांग में आईटीबीपी की पोस्ट खुल गई है। कुछ दिनों बाद अन्य सुरक्षा बल भी पहुंच जायेंगे। होम स्टे संचालक कुंवर सिंह कुटियाल ने बताया कि स्थानीय लोग अपने होटल खोलने और टेंट लगाने पहुंच रहे हैं। घोड़े-खच्चर वाले भी पहुंच गए हैं। केएमवीएन की ओर से संचालित आदि कैलाश यात्रा सबसे पहले वर्ष 1991 में शुरू हुई थी। 1998-99 में मालपा हादसा और उसके बाद कोरोना काल में यात्रा बंद रही। पहले यात्री 98 किमी की पैदल दूरी तय कर यात्रा करते थे। अब ज्योलिंगकांग तक सड़क होने से यात्रा काफी सुगम हो गई है। केएमवीएन पर्यटक आवास गृह के प्रबंधक दिनेश गुरुरानी ने बताया कि पूर्व में यात्री पहले पड़ाव धारचूला से पांगू, सिरखा, गाला, मालपा, बूंदी, गुंजी से कालापानी और नाभीढांग पहुंच ओम पर्वत के दर्शन करते थे। नाभीढांग से वापस गुंजी पहुंच फिर कुटी से ज्योलिंगकांग पहुंचते थे। वर्ष 2019 से पहले तक आदि कैलाश की यात्रा में 15-16 दिन का समय लगता था जबकि अब दो-तीन दिन में यात्री यात्रा पूरी कर लेते हैं। शुरुआती दौर में दो-तीन दल में ही यात्री पहुंचते थे। बाद में यह संख्या 18 दलों तक पहुंची। इस बार जून माह तक ही 15 दलों की बुकिंग हो चुकी है।आदि कैलाश यात्रा मार्ग अभी पूरी तरह सुगम नहीं है। बीआरओ ने कड़ी मशक्कत के बाद सड़क तो बना ली है लेकिन अभी नजंग, मालपा, मलारी, बूंदी, छियालेख, गर्ब्यांग में खतरा बना हुआ है। गुंजी से कालापानी मार्ग भी सुगम नहीं है। एसडीएम मंजीत सिंह ने बताया कि सोमवार तक एक हजार से अधिक इनर लाइन परमिट जारी हो गए हैं। प्रशासन की ओर से दो मई से इनर लाइन परमिट जारी होने पर रोजाना सौ से अधिक यात्री और बाइक सवार आदि कैलाश, पार्वती कुंड, गौरी कुंड और ओम पर्वत के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। यात्रियों की चहल-पहल से होम स्टे, होटल और वाहन स्वामियों के चेहरे खिले हुए हैं।