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पिथौरागढ़। शैक्षिक संवाद मंच द्वारा प्रमोद दीक्षित मलय के संपादन में प्रकाशित होने वाले काव्य संग्रह बेसिक शिक्षक रचनावली में लेखन हेतु देशभर के शिक्षकों के लिए एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। कविता पर एक संवाद विषय पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर साहित्यकार महेश पुनेठा ने कहा केवल तुकांतता ही कविता नहीं हो सकती। कविता में कथ्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण है रूप का प्रयोग तो कथ्य को बेहतरीन ढंग से करने के लिए किया जाता है। मितभाषिता कविता को गद्य से अलग करती है। गद्य जहां सब कुछ साफ-साफ कह देता है वही कविता कहती कम छुपाती ज्यादा है और पाठक के लिए नये अर्थो के संधान की गुंजाइश छोड़ जाती है। गोष्ठी में महेश पुनेठा ने कई प्रसिद्ध कविताओं के माध्यम से कविता के विभिन्न पक्षों को सहजता के साथ स्पष्ट करते हुए कहा कि कविता को मनुष्यता के पक्ष में समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज बनकर सत्य और न्याय की बात करनी चाहिए। शैक्षिक संवाद मंच के संस्थापक और वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय ने कहा कि मंच की पुस्तक प्रकाशन योजना विद्यालयों को आनंदघर बनाने की मुहिम का एक हिस्सा है। गोष्ठी का संचालन प्रीति भारती ने किया। गोष्ठी में 80 से अधिक शिक्षक शिक्षिकाओं ने प्रतिभाग किया।