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चंपावत। वनाग्नि से वनों को बचाने के लिए पिरूल से ईंधन के ब्रिकेट्स बनाए जाएंगे। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक और सशक्त माध्यम बनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत लधिया घाटी के भिंगराड़ा गांव से की गई है। मॉडल जिले चंपावत की नोडल एजेंसी उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद यू-कोस्ट की यह पहल वनों को दावाग्नि से न केवल बचाएगी बल्कि लोगों के जीवन को सरल बनाने के साथ उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करेगी। कार्यशाला व प्रदर्शन की शुरुआत यू – कोस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत, भारत पेट्रोलियम संस्थान आईआईपी के निदेशक हरेन्द्र सिंह बिष्ट ने वर्चुअली की। इसका शुभारंभ करते हुए कहा कि यहां पिरूल से ईधन के ब्रिकेट्स बनाने से न केवल वनों को बचाना संभव होगा, बल्कि इससे महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा। डीएफओ आरसी कांडपाल ने कहा कि पिरूल को एकत्र करने वाली महिला समूहों से पांच सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से पिरूल की खरीद की जा रही है। प्राथमिक चरण में महिलाओं द्वारा दो सौ कुंतल पिरूल एकत्रित कर इससे अपने समूह की एक लाख रुपए की आय कर ली है। उप प्रभागीय वनाधिकारी नेहा चौधरी और वन क्षेत्राधिकारी हिमालय सिंह टोलिया, पाटी बीडीओ सुभाष लोहनी की देखरेख में यह यूनिट संचालित की जा रही है। वहीं जिलाधिकारी नवनीत पांडेय ने बताया कि वनों को बचाने पहल को सार्थक रूप देने के लिए हर स्तर पर सफल बनाने का जिला प्रशासन पूरा प्रयास करेगा, जिससे बहुमूल्य वन संपदा को बचाया जा सके।———-