एन आई एन
अल्मोड़ा। स्वास्थ्य विभाग में 36 साल पहले तीन लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बहुउद्देशीय कार्यकर्ता के पद पर नौकरी हासिल कर ली। 1992 में मामला सामने आया तो आरोपी कोर्ट चले गए। 20 साल तक स्टे रहा। स्टे हटा, लेकिन स्वास्थ्य विभाग लापरवाह बना रहा। एक आरोपी कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद हुई जांच में फिर से मामला खुला। कोतवाली पुलिस ने तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। जानकारी के अनुसार, सीएमओ डॉ़ आरसी पंत ने तहरीर देकर बताया कि 24 जून 1989 को अरुण शुक्ला निवासी बरी महतैन जिला कानपुर, बीरबल सिंह निवासी हरिहरपुर फर्रुखाबाद और जयवीर सिंह निवासी अन्दरसा महालीख कानपुर (यूपी) ने अल्मोड़ा स्वास्थ्य विभाग में बहुउद्देशीय कार्यकर्ता के रूप में तैनाती ली। फरवरी 1992 में जांच के दौरान तीनों के प्रमाणपत्र फर्जी मिले। विभाग कोई कार्रवाई करता तीनों कोर्ट चले गए। कोर्ट ने विभागीय कार्रवाई पर स्टे लगा दिया। 2012 में स्टे हटा और अरुण कुमार को बरी कर दिया गया। बीरबल न्यायालय में पेश नहीं हुआ। उसके केस को खारिज कर दिया गया। इसके बाद भी विभाग लापरवाह बना रहा। 2021 में बीरबल सेवानिवृत्त हुआ। उसने सेवानिवृत्ति की धनराशि के लिए आवेदन किया। विभाग ने जब उसके कार्यकाल की जांच की तो मामला पकड़ में आया। कोतवाल योगेश चंद्र उपाध्याय ने बताया कि तहरीर के आधार पर तीनों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच शुरू कर दी है।

error: Content is protected !!