न्यूज़ इंडो नेपाल

पिथौरागढ़। पहाड़ी ई-कार्ट कंपनी देहरादून की संस्थापक मंजू टम्टा उत्तराखंड की परंपरागत संस्कृति को सहेजने और संवारने में जुटी हैं। लोहाघाट के डेंसली की बेटी और गंगोलीहाट के चहज गांव की बहू सुहागिन महिलाओं के लिए बद्रीश पिछौड़ी और पहाड़ी स्टॉल बद्रीश खंडेली तैयार कर रही हैं। मंजू का कहना है कि इस पिछौड़ी की एक खास बात है कि इसमें पहली बार पहाड़ी भाषा में सदा स्वागिण रै लिखा गया है। इसमें ज़री बॉर्डर के साथ साथ भगवान बद्रीनाथ को पहनाए जाने वाले वस्त्र के छोटे से अंश का प्रयोग किया गया है जिसे भगवान बद्रीनाथ का प्रसाद मानकर उपयोग किया है। इसे बनाते हुए हमें सुखद और आत्मिक अनुभूति हुई। बकौल मंजू हमें उम्मीद है कि जो इसे अंगीकार करेंगे वो खुद महसूस करेंगे कि इसमें भगवान बद्री विशाल का साक्षात आशीर्वाद समाहित है। दो साल पहले लांच किए गए इन पिछौड़ी की काफी मांग है। उन्होंने पिछौड़ी तैयार करने के लिए 20 महिलाओं को रोजगार दिया है। उनका कहना है कि पिछौड़ी तैयार करने में शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है। अमेजन कंपनी पर यह आनलाइन उपलब्ध हैं।

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